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हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ


 हिन्दुस्तान सामाजवादी प्रजातांत्रिक सेना/संघ कि स्थापना सन् 1924 में हिंदुस्तान प्रजातांत्रिक सेना नाम से वीर बलिदानी आदरणीय राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, सचिंद्र नाथ सन्याल,चंद्रशेखर आज़ाद सचिंद्र नाथ बक्शी और योगेश चन्द्र चटर्जी जी के द्वारा किया गया था जिसका सितंबर 1927 में वीर भगत सिंह जी ने नौजवान भारत सभा को HRA में विलय कर पूर्णगठन करते हुए नाम बदल कर HSRA अर्थात हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ/सेना कर दिए थे।

HSRA क्या है?

HSRA कोई संघ या समूह नहीं है,HSRA विचारों को प्रकट करने वाला और विचारों को मजबूत बनाने वाला एक मंच हैं , जहां सभी व्यक्तियों को अपना विचार और सुझाव रखने का पुरा अधिकार है।
  HSRA एक एसी विचार धारा का मंच हैं जो साम्राज्यवाद को खंडित करता है HSRA के नाम में ही इसकी लक्ष्य छुपी हुई है (हिंदुस्तान समाजवाद प्रजातांत्रिक संघ या सेना)
HSRA आज भी देश को पूर्ण स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष कर रहा है।

इतिहास

"वैसे तो ज्यादा बेहतर सोध नहीं कर सका HSRA के इतिहास को लेकर किंतु वेकिपीडिया से मुझे ये रोचक इतिहास जानने का सैभाग्य मिला मैं इस इतिहास को सही नही कह सकता और नही गलत कह सकता हूं क्योंकि मैंने इसके उपर कोई भी सोध नहीं किया हैं किंतु जल्द ही साेध के साथ आपको HSRA का इतिहास जानने को मिलेगा।"

जनवरी १९२३ में देशबन्धु चितरंजन दास सरीखे धनाढ्य लोगों ने मिलकर स्वराज पार्टी बना ली। नवयुवकों ने तदर्थ पार्टी के रूप में रिवोल्यूशनरी पार्टी का ऐलान कर दिया। सितम्बर १९२३ में हुए दिल्ली के विशेष कांग्रेस अधिवेशन में असन्तुष्ट नवयुवकों ने यह निर्णय लिया कि वे भी अपनी पार्टी का नाम व संविधान आदि निश्चित कर राजनीति में दखल देना शुरू करेंगे अन्यथा देश में लोकतन्त्र के नाम पर लूटतन्त्र हावी हो जायेगा। लाला हरदयाल, जो उन दिनों विदेश में रहकर हिन्दुस्तान को स्वतन्त्र कराने की रणनीति बनाने में जुटे हुए थे, राम प्रसाद 'बिस्मिल' के सम्पर्क में स्वामी सोमदेव के समय से थे। लाला जी ने ही पत्र लिखकर बिस्मिल को शचींद्रनाथ सान्याल व यदु गोपाल मुखर्जी से मिलकर नयी पार्टी का संविधान तैयार करने की सलाह दी थी। लाला जी की सलाह मानकर बिस्मिल इलाहाबाद गये और शचींद्रनाथ सान्याल के घर पर पार्टी का संविधान तैयार किया।

नवगठित पार्टी का नाम संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ रखा गया व इसका संविधान पीले रंग के पर्चे पर टाइप करके सदस्यों को भेजा गया। ३ अक्टूबर १९२४ को इस पार्टी की एक कार्यकारिणी-बैठक कानपुर में की गयी जिसमें शचींद्रनाथ सान्याल, योगेश चन्द्र चटर्जी व राम प्रसाद बिस्मिल आदि कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए। इस बैठक में पार्टी का नेतृत्व बिस्मिल को सौंपकर सान्याल व चटर्जी बंगाल चले गये।
                                                

Written by/-

~Dr. SSpD

(Revolutionary Soldier & Author)

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